औरत, आदमी और छत , भाग 39
भाग,39
रूपा दीदी ने माँ को क हा था,तेरी बहू की नजर उतार ले माँ।
डिंकी की नजरें अपने पापा को ही देख रही थी ,जो उसकी मंमी के फोटोज खीचने में व्यस्त थे।उसे बहुत ही अच्छा लगा था।वो शौर गुल के बीच भागी भागी बुआ के पास ग ई।
बुआ मंमा पापा का एक डांस करवा दो न प्लीज़।
हाँ हाँ ठीक कहा, बुला तेरे पापा को।
मैं नहीं बुआ आप बुलायें, वो खड़े हैं सामने देखें।
मिन्नी भी उन लोगों के पास आ ग ई थी।
क्या दिखा रही है बुआ को डिंकु?
आपको देखने के बाद तो कुछ देखने की हिम्मत ही नहीं रही भाभीजान।
दीदी प्लीज़, पता नहीं कैसे लग रही हूँँगी, एक अरसे के बाद इतनी चूड़ियाँ वगैरह पहनी है, मुझे तो वैसे ही बड़ा अजीब लग रहा है।
मंमी बहुत प्यारे लग रहे हो बिल्कुल छुई मुई से। रोज ऐसे ही रहा करो ना प्लीज। बिंदी कितनी सूट करती है आपको।
डिंकी अपनी मंमा के फोटो खीच रही थी।
क्या बचपना है डिंकु , लोग क्या कहेंगे?
कोई कुछ नहीं कहेगा मंमा, सब अपनी मस्ती में बिजी हैं
तभी रूपा दीदी वीरू को पकड़ लाई थी।
आज तेरा और मिन्नी का डांस देखना है भाई।
ना दीदी, बच्चे हैं न वो करेगें डांस।
बच्चे अपनी जगहं, भाई भाभी अपनी जगहं, तूं और मिन्नी भी डांस करोगे।
नाच लो बेटा, बहन इतने प्यार से कह रही है।
पापा प्लीज़।
ओके तेरी मंमी को मना ले मुझे कोई दिक्कत नहीं।
घूघंट से ही हाथ हिला दिया था मिन्नी ने ।
मंमा प्लीज।
मामी प्लीज़।
मिन्नी बेटा खड़ी हो,ये मौके बार बार कहाँ आते हैं चल।
मिन्नी सिमटी सी बैठी ही थी कि बराबर से आकर वीरू ने उसका हाथ पकड़ लिया था बड़े फिल्मी अंदाज में,विल यू डांस विध मी प्लीज़ मिन्नी
मिन्नी की हया देखते ही बनती थी, बेटीऔर भांजी लगातार फोटोज खीच रहे थे दोनों के।
वीरेन्द्र सरपंच ने डीजे ब्वॉय कोअपने पास बुलाकर गाना लगवाया था, गाना क्या नुसरत साहब की कव्वाली थी जिसे पाप म्यूजिक से बजाया गया था।
मेरे रशके कमर,तूने पहली नजर जब नजर से मिलाई मजा आगया।
मंमी घूंघट हटाओ,हम वीडियो बना रहे है,प्लीज
कव्वाली के एक एक बोल को जैसे जी रहा था वीरू, मिन्नी ने भी उसका साथ निभाया था।
अतं में सब बच्चे चिल्लाये थे, मजा आ गया, वनस मोर प्लीज़।
मिन्नी तेजी से वापिस आ ग ई थी।वीरू भी बाहर निकल गया था।
माँ को दोनों की नज़र उतारने की.फिक्र हो ग ई थी,दोनों कोअंदर कमरेमें बुलाकर उनकी नजर उतारी थी माँ ने।
माँ ये सब कुछ नहीं होता, वीरू बोला था.
बहुत कुछ होता है बेटा, इतने बड़े हो गए हो तुम दोनों मियां बीवी,पर कोई दिन ऐसा है जो बिना चिक चिक झिक झिक के गुजरा हो तुम्हारा ,पता न हीं किस नामुराद की नज़र लगी है।
वो नज़र भी उतरवा दूंगा माँ चिंता न कर। उसनें नज़र भर कर मिन्नी को देखा था।और बाहर चला गया।
मंमी खाने का इंतजाम करवाओ और बिल्कुल हल्का चाहे खिचड़ी क्यों न हो
क्यों डुग्गु खाना नहीं अच्छा बना. क्या?
अरे नहीं दादी बहुत अच्छा बना है, पर प्रेक्टिस तो हो ही नहीं पाई, फिर ज्यादा हैवी खाना ठीक नहीं है।
मिन्नी रसोई में चली ग ई थी,उसे पता था डिंकी भी कुछ हल्का ही खायेगी, माँ तो शायद न ही खायें, उसनें खिचड़ी ही रख दी थी ,थोड़ी ज्यादा ही बनाई थी। माँ के लिए एक कप ग्रीन टी भिजवाई थी। माँ अपनी सहेली को बता रही थी,
"वीरू की बहू तो आधी डाक्टर है, खाना पीने का बहुत ध्यान रखती है, कुछ भी ज्यादा खाया जाये या गलत खाया जाये, तो ये कड़वी सी दवाई का कप भर कर भेज देगी।कहेगी माँ चाय है हरी चाय।"
तूं पियेगी तेरे लिए भी मंगवाऊँ?
उसकी सहमति से माँ ने डिंकी को बोला था, तेरी माँ को बोल एक कप हरी चाय और देगी डिंकु।
आप और ग्रीन टी दादी?डिंकी हँसती हुई चाय लाने चली ग ई थी।
दस बजे चुके थे डीजे बज रहा था, बच्चे मौजमस्ती करते रहे थे। मिन्नी कमला की मद़द से सबको खाना भी खिलवा रही थी। जेठ की बेटी और बेटे को भी उसने ननद की बेटी से कहकर बुलवा लिया था।वो भी बच्चों के साथ खा पी रहे थे,और मस्ती कररहे थे।
वीरू को फोन किया था उसने,क्या कर रहें हैं आप?
आप का इंतजार कर रहा हूँ आप कब फ्री होंगी?
वीरेन प्लीज़,हर.वक्त मजाक नहीं, खाना खा लीजिए आकर।
यहीं भेज दे , रोशन को भेज देता हूँ।
प्लीज़ आप ज्यादा मत लेना वीरेन, आप ने पहले भी ले रखी है।
फोन काट दिया था वीरू ने।
ठीक ही किया,फोन नहीं काटते तो सुनाते, तेरा दिमाग खराब है क्या?
तभी रोशन रसोई के बाहर आकर बोला था ,"भाभी वीरू भाई का खाना दे दो"।
उसने थोड़ी खिचड़ी और बाकी खाना भेज दिया था।
सब के सोने की व्यवस्था पहले से ही तय कर रखी थी मिन्नी ने। डिंकी और दीदी की बेटी और जेठ की बेटी एक ही कमरे में सो गए थे।डुगू भी अपने बुआ के बेटे के साथ एक कमरे में था।माँ और दीदी एक कमरे में थी।मिन्नी ने अपना बिस्तर भी वहीं लगा लिया था। वो सामान ही समेट रही थी कि उसे जोर जोर से छींकने की आवाज सुनाई दी।
उफ़्फ़ ये तो वीरेन हैं, तुरंत गर्म पानी लेकर उपर पहुँची थी।
हो ग ई न एलर्जी, मैं शुरू से ही कह रही थी वीरेन वाईन मत लेना ,मौसम बदल रहा है,पर मेरी सुनता कौन है, कह दो तो सुनने को मिलेगा , दिमाग खराब है तेरा।
एकदम से उठ कर वीरू ने उसे बाँहों मे भर लिया था।
तेरे को बुलाने के लिए नाक में सींख डालकर छीकने का ड्रामा किया था,कुछ नहीं हुआ है मुझे। मुझे पता था छींकने की आवाज़ चाहे पाताल से आ जाये, पर मेरी बीवी को मेरी चिंता हो जाती है।
वीरेन कैसे हैं आप? अभी नीचे सारा काम बिखरा है। माँ और दीदी क्या सोचेंगी?
बिखरा रहने दे,कमला आई हुई है, देख लेगी,नहीं देखेगी तो मत देखने दे, कोई क्या सोचेगा वो उस की टैन्शन है मेरी नहीं। मुझे मेरी मिन्नी चा हिए बस। तुझे याद है शादी के वक्त भी तूने ऐसी ही गोल्डन बिंदी और चूंड़ियाँ पहनी थी,बिल्कुल ऐसी.ही लग रही थी तूं,शादी के फोटोज रखे है ना,उनसें ये फोटो मिला लेना बेश्क।उसनें अपना मोबाइल मिन्नी की तरफ बढ़ा दिया था।
ये किसने और कब खीचें है वीरेन?
कौन खीच सकता है?
मुझे क्या पता, आपके मोबाइल में है तो आपको किसी ने भेजे होंगे।
मैंने ही खीचें हैं बेगम, आप को आते देखकर कई साल पीछे चला गया था।बच्चे जवान हो गए ह़ैं, वरना किस कमबख्त का दिल कर रहा था कि आपको नीचे बैठने देने का। वाईन के सहारे वक्त निकाला है।
वीरेन क्या बात है, बहुत रोमांटिक हो रखे हैं।
आप ही की मेहरबानी है मैडम।
अच्छा जी।
जी जी।
एक और रात के लम्हें बहुत ही अपने से होकर गुज़र गए थे। शादी बहुत अच्छे से निपट गई थी। डुग्गु भी चला गया था,रीति चंडीगढ़ थी ही।
दीवाली पर रीति भी आई थी डिंकी और कृष्णा आंटी भी आये थे। डुग्गु कैम्प में था,वो नहीं आ सकता था, यहीं से उसे सीधा विदेश टूर्नामेंट जाना था। फ़ोन पर ही बात हो जाती थी कभी कभी। बहुत व्यस्तता थी। कृष्णा आंटी दो दिन के लिए स्कूल क्वाटर्स रुक ग ई थी।वो थी ही इतनी प्यारी की हर कोई उन को अपने पास रखना चाहता था। डिंकी नानी को लेने स्कूल ग ई थी।
स्कूटी रूकने की आवाज़ आई थी।कृष्णा नानी और डिंकी आये थे।
नानी सबसे मिली थी बहुत ही विनम्रता से।रीति को बहुत प्यार किया था उन्होंने। मिन्नी रसोई में जाकर सब के लिए चाय बनाती है, रीति रसोई में आकर माँ की मद़द करती है। चाय खत्म कर वीरेंद्र आफि्स चला जाता है। जाते हुए मिन्नी को बोल कर जाता है, बाज़ार से जो लेना हो ,वो आज में ही लेँ लेना, कल इन लड़कियों को भीड़ में घूमाने की कोई जरूरत नहीं है।
जी ठीक है। मिन्नी जानती है कि वीरेंद्र को भीड़ भाड़ ज्यादा पंसद नहीं, कभी से ही,और अब तो लड़कियाँँ भी बड़ी हो गई है।
घर में बहुत अच्छा माहौल था, डुग्गु भी फ्री होते ही फोन कर रहा था।रीति ने उसे समझाया था, भाई प्लीज़ प्रेक्टिस पर फोक्स कर,ये बहुत अच्छा मौका है हमारे लिए कुछ कर गुजरने का।
दीदी टैन्शन मत लो सब ठीक होगा।
होप सो डुग्गु, अपना ध्यान रखना।
दीवाली के बाद रीति ट्रेनिंग पर चली गई थी, नानी और डिंकी दिल्ली आ गए थे। माँ अपने पीहर अपने भतीजे भतीजियों से मिलने चली गई थी। वीरूऔर मिन्नी की शादी की सालगिरह थी। वीरू ने एकदम से मंसूरी का कार्यक्रम बना डाला था।
पर मेरी नौकरी वीरेन?
छोड़ दे बेगम , बहुत साल हो ग ए हैं।
पर
पर वर कुछ नहीं, छोड़ दे नौकरी, गर मन करे तो वैसे ही जाकर कभी बच्चों को पढ़ा आया कर स्कूल में। मना नहीं करूंगा, पर रेगुलर जाब छोड़ दे।
पर वीरेन?
तुझे नौकरी चाहिए या मेरा साथ चाहिए? वीरू के लहजे़ मे गुस्सा था।
वीरेन यहाँ साथ की बात कहाँ से आ गई है, आप हर बात जज करने लगते हैं।
हाँ हाँ कर रहा हूँ जज ,और करता रहूँगा, तूं मुझे फाइनल बता तेरा विचार क्या है?
मिन्नी ने खामोशी की चद्दर औढ ली थी,वो नहीं चाहती थी इतने दिनों से सब सामान्य चल रहा था उस में कोई समस्या खड़ी हो।
शाम को निकलना है, अभी मेरा एक क्लाइंट आने वाला है, मैं आफि्स जा रहा हूँ, तूं पेकिंग कर ले,खाना मत पैक करके बैठ जाना, बाहर ही खायें गे।
मिन्नी कुछ नहीं बोली थी, शायद उसकी खामोशी ही सहमति होती थी, आज तक यही तो होता आया था। नौकरी छोड़ना वो भी इस उम्र में क्या गलत नहीं होगा। सारा दिन खाली बैठे बैठे पागल हो जाऊँगी।
तमी फोन की घंटी बजी थी, मिन्नी ने देखा रीति का फोन था।
हैलो बेटा कैसी हो?
मैं तो ठीक हूँ मंमा, पर आवाज़ से आप ढीले लग रहे हो,क्या बात है?
अरे नहीं बेटा ऐसा कुछ नहीं है।
मंमी प्लीज़ जो भी है, मुझे बताओ, वरना डिंकी फोन करके सब उगलवा लेगी और ये उसके कैरियर का अहम समय है।
अरे ऐसा कुछ नहीं है रीति।
बता दो मंमी जो भी है थोड़ा हल्का महसूस करोगी।
तुम्हारे अंकल कह रहे हैं नौकरी छोड़ दो, मैंने मना किया तो बोले कि तुझे नौकरी चाहिए या मेरा साथ चाहिए।
अरे अरे चंद दिनों में ही ऐसा क्या हो गया, अभी तो सब ठीक था।
इन्होंने मंसूरी घूमने का प्रोग्राम बना कर मुझे बताया कि हम आज शाम को चल र हें है।स्कूल की एक महीना से ज्यादा छुट्टियां हो चुकी हैं।मैंने ये कहा तो बस फिर पारा हाई। नौकरी छोड़ दो।
तो आप छोड दें नौकरी मंमी, सब सैटल है अब तो डुगू अपने कैरियर को पकड़ चुका है।डिंकी पढ़ रही है , फिर इस समय आप लिख भी तो सकती हैं आप का ये शौंक भी तो आपका भविष्य का कैरियर बन सकता है।अब आप थोड़ा समय अंकल के साथ बितायें,और हाँ मंसूरी घूमने जरूर जायें कल आपकी शादी की सालगिरह भी तो है।छोटे छोटे लम्हों में खुशियाँ ढूंढ लिया करे मंमा। जीवन यूं ही चलता है।
अब आप तैयारी करे अपनी, मैं रात को बात करती हूँ।
बेमन से मिन्नी ने अलमारी खोली थी।सोच रही थी,अभी कमा रही हूँ तो चार पैसों के लिए किसी का मुँह नहीं देखना पड़ता।कल को काम नहीं रहेगा तो। तभी गेट पर हुई आवाज़ ने उसकी तंद्रा को तोड़ा था। कमला अपनी बहू को लेकर आई थी।
दीदी अब से ये ही संभालेगी आपका काम, मैं भी बीच बीच में आती रहूँगी, पर ये ही आया करेगी अब से।एकाध दिन मैं इसके साथ आ जाँऊगी, और इसे सब बता दूंगी।
रिटायरमेंट ले रही है कमला?
ना दीदी कैसी रिटायरमेंट, पर अब भागमभाग नहीं होती, ये इधर आयेगी तो मैं घर और इसके बच्चे देख लूंगी।
कमला अपनी बहू को काम , समझा रही थी। वो बैडरूम में आई तो मिन्नी कै पैकिंग करते देख बोली," कहीं जा रही है दीदी"?
हाँ आज शाम को ही निकलेंगे, जब आऊँगी तो तुझे फोन कर दूंगी।
जी ठीक है दीदी।
कमला और उसकी बहू ने सारे घर की सफाई कर दी थी।कमला पोधों को भी देख संभाल आई थी।
पानी की जरूरत पूरी कर दी है दीदी पोधों की ,सरदी है कुछ नहीं बिगड़ेगा।
ठीक है ।
वो दोनों चली गई थी। चार बज गए थे,मिन्नी विचारों में खोई सी लेट ग ई थी। नींद आ ग ई थी।उठी तो देखा साढे पाँच हो गए थे।शाम सुरमई हो ग ई थी। मिन्नी ने अपने लिए चाय बना ली थी।अब तो क्या निकलेंगे ये ,,कहीं देर हो गई होगी। तभी फोन घनघनाया था।वो रसोई से भागी हुई आती है।
वीरेन, स्क्रीन पर उभर रहा था।
पाँच मिनिट में घर पहुँच रहा हूँ, तैयार मिलो एकदम से ,सारा घर लाक कर दो।बैग बाहर रख लो देर नहीं करनी पहले ही देर हो चुकी है।
पर वीरेन।
बोला ना मिन्नी जल्दी कर।और फोन कट गया था।
इनकी यही आदतें खराब हैं, अब मैं क्या क्या करूं।
चाय पीती पीती मिन्नी ने दरवाजे चैक करके लाक किए थे। बैग बाहर निकाल दिए थे। मेन गेट को सिर्फ बोल्ट करके वो अंदर जाकर कपड़े बदलने लगी थी। बाहर गाड़ी रूकने की आवाज़ सुन चुकी थी वो।
बेगम कहाँ है जल्दी बाहर निकल देर हो रही है।
मिन्नी को गुस्सा तो बहुत आ रहा था,पर इस समय गुस्से को शान्त रखना मज़बूरी थी उसकी।
फटाफट कपड़े बदल कर बाहर आ ग ई थी। वीरेंद्र गाड़ी में सामान रख चुका था। मिन्नी ने पानी की बोतल उठा ली थी,और रसोई को भी ताला लगा दिया था। आपना पर्स लेकर वो बाहर आई और गेट को ताला लगा दिया।वीरू गाड़ी मोड़ रहा था। मिन्नी जाकर गाड़ी में बैठ गई थी। गाड़ी सड़क पर दौड़ने लगी थी।पर गाड़ी में एक खामोशी पसरी हुई थी।
क्या हुआ बेगम? नाराज है, खामोशी क्यों औढ़ रखी है।
शादी हुई थी कल हमारी।शादी से पहले दिन भी तूं यूं ही खामोश थी,याद है न तुझे।
आपने वाईन ले रखी है ना? एक तो इतनी देर से जा रहे हैं ऊपर से आपने।
बंद करोगी ये टापिक इस के सिवाय कुछ बोलना नहीं आता क्या?वाईन ले रखी है आपने।और क्या देर हुई है, जहाँ थक जायेंगे वहीं किसी होटल में रूक जायेंगे।खामख्वाह टैन्शन लेती देती रहती हो।
मिन्नी तो खामोश थी ही।
अरे वाईन नहीं पी है बेगम ,आधी बीयर वो.भी क्लाइन्ट के साथ पीनी पड़ गई।
सुन रही हो न।
जी।
तुम्हें क्या लगता है कि वाईन पीकर मैं एक बुरा इंन्सान बन जाता हूँ।
मैने ऐसा कुछ नहीं कहा।
अच्छा सुनों मेरे जैकेट के जेब में कुछ है,निकाल लो।
क्या है?
यार निकाल लो बम नहीं है जो फट जायेगा।
मिन्नी ने जेब मे ़हाथ डाला तो एक पतले से लिफाफे में गोल्डन रंग की बिंदियों के बहुत मंहगे वाले पाँच पैकेट थे।
मिन्नी ने उसकी तरफ़ देखा था।
क्या हुआ ऐसे क्यों घूर रही है,लगा ले।
सुबह लगा लूंगी वीरेन, जब तैयार होऊँगी।
अभी इसी वक्त लगा, ये मैं इस लिए लाया हूँ कि हर वक्त तेरे माथे पर इसे देखता रहूँ।न.कि तुम्हारे तैयार होने का इंतजार करता रहूँ।
मिन्नी ने एक बिंदी निकाल कर माथे पर चिपका ली थी,और बाकी अपने पर्स में रख ली थी।
देटस लाईक ए गुड वाईफ। वीरेन्द्र फुल मस्ती से ड्राइविंग कर रहा था।
वीरेन थोड़ा सा आहिस्ता चलाओ न रात है।
सामने देख सड़क पर दिख रहा है ना और मुझे अभी तक चश्मा भी नहीं लगा बेगम।तूं डरती क्यों है। गाड़ी मैं चला रहा हूँ तूं नहीं।
मिन्नी खामोश रही थी, पीने के बाद वीरेन्द्र के मूड का पता नहीं चलता , गुस्सा तो वैसे भी इन की नाक पे रखा रहता है।
बेगम एक.सिगरेट निकाल कर कर दो न। गाने और गज़लें सुनते हुए चार घंटे का सफ़र निकल गया था। रास्ते में एक जगह रूके भी थे।दोनों ने काफी ली थी। खाना नहीं खाया था।रात का सफ़र था।कहीं कुछ खा लेंगे।
यूं ही चलते रहे तो मिन्नी ,मंजिल कहीं भी न हो, बस कुछ पल रूकें चाय पीयें और फिर चल दें। साथ में तुम बैठी रह़ बस।
अच्छा जी फिर आप की उन सब सहेलियों का क्या होगा, वीरू सरपंच ,मिन्नी ने कुछ हँसते हुए कहा था।
तुम साथ हो तो मुझे किसी की जरूरत नहीं है बेगम, समंदर की गहराई में खोकर नहरे और तालाब किसे याद रहते हैं।दार्शनिक अंदाज में बोला था वीरू।
अच्छा जी।
जी ।
बातों ही बातो में हरिद्वार पहुँच गए थे।
वीरेन्द्र मसूरी ही जाना चाहता था, पर मिन्नी ने कहा था कल हमारे जीवन का बड़ा दिन है वीरेन गंगा मैया को दर्शन कर के चलेंगे।
उस के कहने पर वो हरिद्वार ही रूक ग ए थे एक लाज में।रात को दोनो ने एक एक सैंडविच खाया और सो ग ए थे। सुबह मिन्नी को बिना किसी अलार्म के जल्दी उठने की आदत थी। वो उठ कर लाज की छत पर टहल रही थी। आज से बीस साल पहले आज का ही दिन जैसे सभी कुछ अभी घटने ही वाला हो। तब भी वे एक छोटे से लाज में ही रूके थे।हास्टल से सुबह सुबह ही निकल गए थे। वीरेंद्र के वकील ने सब पहले पहले ही तैयार कर रखा था।जाते ही काम हो गया था। ग्यारह बजे तक फारिग हो गए थे वो । फिर वीरेन्द्र और वो उस लाज में ही रूके रहेथे तीन दिन।।वो तो मिन्नी आफि्स से इस से ज्यादा छुट्टी नहीं ले सकती थी, वरना वीरेन्द्र चाह रहे थे कि कहीं और घूमने निकल चलते हैं।
तब तो वीरेन्द्र पीते भी नहीं थे,मुझे तो पता भी नहीं था कि ये पीते भी हैं। कभी धूप कभी छाँव , वक्त कितनी जल्दी बीत गया न।
तभी फोन पर घंटी हुई थी वीरेन ही था।
बेगम आज भी सुबह सुबह अकेला छोड़ कर चली ग ई हो।
कुछ तो रहम करो गरीब पर , कहाँ हो?
आ रही हूँ, यहीं छत पर ही थी।
मिन्नी नीचे आ गई थी, दोना गंगा दर्शन के बाद मसूरी निकल ग ए थे। मसूरी की वादियों में दोनो ने तीन दिन बीता दिए थे।एक बहुत ही अपने से और प्यारे से अहसास को समेटे दोनों वापसी के लिए निकल पड़े थे।हर साल इस दिन यहाँ आने का वायदा एक दूसरे से कर के। वीरेंद्र घर आकर माँ को भी ले आया था।ज़िंदगी चल रही थी,कुछ बदलाव वीरेन्द्र में आ गए थे। वो मिन्नी को बार बार नौकरी छोड़ने के लिए कह रहा था।मिन्नी उसे प्यार से टालती आ रही थी अभी तो। डुग्गु को सिलवर मेडल मिला था। वीरेन्द्र उसे एयरपोर्ट से लेने गया था। बहुत बढि़या स्वागत किया था गाँव वालों ने उसका। स्कूल वालों ने भी डुग्गु को स्कूल में आमंत्रित किया था। वो घर पर ही आया हुआ था।
एक दिन सुबह सुबह मिन्नी को तैयार होते देख बोला था, मंमा एक बात कहूँ, नौकरी छोड़ क्यों नहीं देती आप।घर पर रहकर लिखा करें ।कब तक सुबह सुबह भागती रहेंगी।
देखती हूँ, सोचती हूँ डुगू।
सोचिएगा मंमी , अब सब को घर आने का थोड़ा ही समय मिलेगा, तो सब चाहेंगे वो आप के साथ ही बीते,और आप भी बीच बीच में सब के पास जाती रहें।
वीरेन को चाय देने गई तो उसको तेज बुखार था।रात में तो एकदम ठीक थे। फोन करके स्कूल से छुट्टी ले ली थी। आज खुद गाड़ी चला कर चेकअप के लिए जबरदस्ती लेकर ग ई थी। ठंड भी ज्यादा थी।बहुत मुश्किल से मनाया था डाक्टर के पास चलने को।
एक क्रोसिन दे,और थोड़ी देर करीब बैठ मैं बिल्कुल ठीक।
104 है बुखार. जनाब।
कुछ नहीं है एक घंटे में ठीक हो जाँऊगा।
आफ डाक्टर के पास नहीं चलेंगे तो मैं बात नहीं करूंगी कभी भी।सोच लीजिए।
तेरा दिमाग खराब है,हमेशा इमोशनली केश करती है।
तो चलें।
चल, गाड़ी तूं चला ले मेरे हाथ पैरों में अजीब सी बेचैनी हो रही है। मिन्नी खुद ड्राइव करके डॉक्टर के पास पहुँचती है।
बुखार तेज था , डाक्टर ने टेस्ट के लिए बोला तो मिन्नी ने पूरी ब्लड टेस्टिंग ही करवा दी थी।
वायरल बुखार था एलर्जी भी बढ़ी हुई थी।कोलोस्ट्रोल का लेवल बॉर्डर लाइन से भी दो पॉइंट आगे जा चुका था।
बुखार की दवा दे दी थी दो.दिन.की, फिर से चेकअप के लिए बोला था।कोलोस्ट्रोल के लिए लाइफ स्टाइल और् खान पान में सुधार करना होगा।
मिन्नी पूरे रास्ते चुपचाप गाड़ी चलाती रही.थी।
अरे बेगम कुछ तो बोल वरना मेरा बुखार और बढ़ जायेगा। मैं गाड़ी चलाता हूँ जब तो लड़ती रहेगी, और खुद है कि खामोशी ओढ़ कर बैठी है।पर लेडीड्राइवर है हम मर्दों वाली बात कहाँँ?वीरेन्द्र ने उसे तंग करते हुए कहा था।
आप मुझ से बात न ही.करे तो बेहतर है। अपनी रिपोर्ट तो पढ़ ली होगी ना।
अरे तो क्या हो गया, थोड़ा सा कोलोस्ट्रॉल ही तो ज्यादा है,
भ ई बेगम सरदी है इस मौसम मे डाईट भ़ी अच्छी हो जाती है,और बंदा आराम भी ज्यादा करता है,तो बढ़ गया कोलेस्ट्रॉल,इसे इतना सीरियसली क्यों लेकर बैठ ग ई हो।
डाक्टर ने कहा था न कि वाईन पीने से
हो ग ई न शुरू, गाड़ी चला ले तेरी,वरना किसी और को अस्पताल पहुँचायेगी। वीरेंद्र ने उसकी बात ही काट दी थी।
वो खामोश हो ग ई थी। घर आकर ठंडे पानी की पट्टी रखने से और दवा खाने से बुखार कम हो गया था। वीरू को नींद आ ग ई थी।
मिन्नी रसोई में ही थी ।तभी डुग्गु आया तो माँ को घर पर देखकर हैरान हो गया था।
रिजाईन कर दिया क्या मंमी?
नहीं तेरे पापा को तेज बुखार था, अभी डाक्टर के पास से ही आई हूँ।
पापा गए थे साथ में?
तो क्या मुझे दिखाना था?
उनके केस में ऐसा ही होता है। टेस्ट करवाया?
हाँ वायरल है,एलर्जी लेवल और् कोलोस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है।
अभी बुखार कैसा है मंमी?
डाऊन.आ गया है,104 था अभी आधा घंटा पहले101 था। अभी सोये हैं,तो शायद और बेहतर हो।
मंमी पापा को बोलो वाईन ब़द कर दें अब।
जैसे मेरी ही सब मानते हैं तुम्हारे पापा।
फिर भी आप कह तो सकती ही हैं।
तुम कह कर देखो, तुम्हारे भी तो पापा हैं।
पता नहीं क्यों मंमी, मुझे आज भी पापा से बात करते हुए डर ही लगता है।हालांकि कभी उन्होंने शायद डाटा भी न हो मुझे पर पता नहीं क्यों?
अच्छा चल नहाले, फिर खाना डालती हूँ तेरा।
दादी कहाँ है?
अपने कमरे में,आज धूप भी तो नहीं निकली ना।
हम्म, मैं दादी से मिलकर नहा लेता हूँ।
डुगू खाना खाकर सो गया था। मिन्नी ने वीरेन को जगाया था।अब बुखार नहीं था। खाना खिलाकर दवाई दी थी।
मैं थोड़ी देर आफि्स जा कर आता हूँ।
बाहर ठंड है वीरेन और आप ठीक भी नहीं है।
कुछ नहीं है, बिल्कुल ठीक हूँ मै, वो तो मैं नहीं चाहता था कि तूं स्कूल जाये इसलिए बुखार चढ़ा लिया था।
आ जाऊँगा दो तीन घंटे में।
वाईन मत लेना वीरेन प्लीज।
पागल भी तो हो जाओगी एक बात के पीछे पड़ के।
पापा आय एम सारी, बट मंमी ठीक ही कह रही हैं। डुग्गु भी बाहर आ गया था।
आ रहा हूँ यार दो घंटे में ही वापिस आ जाऊँगा।
माँ भी बाहर बरामदे में ही आ ग ई थी। मिन्नी ने माँ को ग्रीन टी बना कर दी थी।
इतनी ठंड, और बुखार का शरीर जाना जरूरी था क्या, घर टिका नहीं जाता इससे भी।
कोई काम होगा दादी।कह रहे थे दो घंटे में हैं आ जाऊँगा।
मिन्नी अंदर किसी से फोन पर बात कर रही थी।दस मिनिट बाद बाहर निकली थी। कुछ बेचैनी सी थी चेहरे पर।
सब ठीक है मंमी?
हम्म अभी तो ठीक ही है।
मतलब?
मैने रिजाईन के लिए बोल दिया है,अभी मैम से ही बात हो रही थी।
फिर आप ये क्यों बोल रही हैं,कि अभी तो सब ठीक है?
उम्र हो ग ई है डुग्गु मेरी भी,और
और क्या मंमा?
मंमा ये देखो, डुगू ने अपने मोबाइल से अपने अकाउंट का ब्यौरा दिखाया, अकाउंट में अपनी माँ को ही नोमिनी बनाया हुआ था।
और सुनो मंमी कल ये सारा पैसा आपके अकाउंट में तबदील. हो जायेगा।
नहीं डुग्गु मेरी ऐसी कोई जरूरत ही नहीं बेटा,और फिर मैं तुमसे ले लूंगी गर मुझे जरूरत होगी तो।
पता नहीं क्यों मिन्नी की आँखे भर आई थी। वो उठ कर चली ग ई थी वहाँ से थोड़ा समय खुद के साथ बिताने के लिए।
गाड़ी बाहर ही लगा कर वीरू अंदर आया था। मंमी कहाँ है तेरी, उसने डुगू से पूछा था।
अंदर ग ई है अभी कुछ देर पहले ,मिन्नी ने इस्तीफा दे दिया बेटा, थोड़ी उदास और परेशान है।
वहीं उन लोगों के पा स ही बैठ गया था वीरेन।
उदास तो समझ सकता हूँ ,परेशान क्यों है?
कुछ नहीं पापा ,आप तो मंमी को जानते ही हैं थोड़ा भावुक जल्द हो जाती है। आपका बुखार ठीक है अब?
हाँ मुझे तो नहीं लग रहा कि मुझे बुखार है।
आज मिन्नी को वक्त बहुत याद आ रहा था,जब ये स्कूल में जाब शुरू की थी, कितने इम्तिहानों से गुजर रही थी। छोटी सी रीति, वीरेंद्र के साथ शादी के बाद भी एक डर। वो क्या मैं ही थी जो इतने इम्तिहानों से गुजरी थी। अब तो बहुत कमजोर पड़ ग ई हूँ। रीति को अच्छी जाब मिल ग ई है, डुग्गु भी सैटिल हो गया है।रह ग ई डिंकी, भगवान करे उसे भी जल्दी ही मंजिल मिले। अभी तो ग्रेजुएशन का ही दूसरा साल है। चलो सब ठीक ही होगा अपनी नम आँखे्ंं पोंछ ली थी उसने।
माँ तेरी लाडली बहू को बोल.के चाय ही पिलवा दे, चार बजने को आये हैं,पर लग रहा है जैसे अंधेरा हो गया है।
मिन्नी मिन्नी
आई माँ।
बाहर आकर देखा तो वीरेन आये हुए थे।
कैसी तबियत है?
भला चंगा हूँ। बस चाय पिलवा दे एक कप।
अभी बनाती हूँ। डुग्गु तूं कुछ लेगा?
नहीं मंमी मैं थोड़ी देर बाद दूध लूंगा मैं खुद गर्म कर लूंगा।
वो आ ग ए क्या तेरा जिम बना ग ए हैं।
अभी फोन आया था पापा, कह रहे थे, एक घंटे में पहुँच जायेंगे, और तैयार करके ही जायेंगे।
हाँ ठीक है जब घर रहेगा तो भी प्रेक्टिस होती रहेगी।
पापा आप इस पीछे वाले प्लाट को लेने की तिकड़म बिठवाओ, ये बहुत फायदे का रहेगा, यहाँ छोटा सा पार्क ही बनवा देंगे ट्रेक डलवा कर। मंमी और दादी घूम भी सकेंगी।
अरे इसी सिलसिले में ही आफि्स गया था।एक बंदेको बुला रखा था।वो बोल के तो यही गया है कि शाम सात बजे तक फाइनल करवा दूंगा।
मिन्नी चाय ले आई थी। माँ भी चाय पी रही थी सब के साथ।
तभी डिंकी का फोन आया था डूग्गु के नम्बर पर , मैं कल की क्लास के बाद घर आ रही हूँ, छुट्टी हैं तीन दिन की,और हाँ नानी का चेकअप करवाना है,उन्हें थोड़ा पेट को लेकर समस्या चल रही है।
ठीक है तूं पहुँच,मैं मंमी को बता देता हूँ।
मंमी का नम्बर तो आफ आ रहा है।
मंमी मेरे पास ही बैठी हैं ले बात कर ,दादी और पापा भी यहीं है।
माँ शाम को क्या खायेंगी?
अरे इस ठंड में खाया ही खाया जा रहा है।घूमना फिरना तो हो ही नहीं पाता।मेरे ख्याल से रात को न ही खाऊँ तो बेहतर रहेगा।
मैं आपके लिए कम चावल की खिचड़ी बना देती हूँ माँ बाजरा वगैरह और सब्जियां डाल के।
आप क्या लेंगे वीरेन?
कुछ भी बना लो यार कोई खास भूख नहीं है।
मंमी मेरे लिए भी वही खिचड़ी बना देना सब्जियां थोड़ी ज्यादा डाल के।
जिम सेट करने के लिए मिस्त्री आ ग ए थे, डुग्गु उन के साथ बिजी हो गया था। वीरू माँ के साथ ही बैठा था। मिन्नी खाने की तैयारी कर रही थी।
वीरू
हाँ माँ?
मिन्नी कुछ परेशान सी लगी इस्तीफा देके।हालांकि डुगू ने तो ये भी कह दिया कि मैं अपने अकाउंट से सारा पैसा आपके अकाउंट मे तबदील करवा देता हूँ। पता नहीं कह रही थी, मेरी भी उम्र हो ग ई है अब और नौकरी भी छोड़ दी।
इ स का दिमाग खराब है,माँ तूं चिंता न कर।
रात को मिन्नी ने सबको खाना खिला कर वीरेन्द्र को दवाई देने लगी तो वीरेंद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया था।
क्या परेशानी है बेगम, बता दे।
कैसी परेशानी?
माँ बता रही थी इस्तीफा देकर मिन्नी उदास और परेशान थी। तो बता क्या परेशानी है तुझे।
कुछ नहीं आप नहीं समझेंगे।
क्यों कोई मैथ का प्रश्न है तुम्हारी परेशानी में।
कुछ नहीं है बस थोड़ा भावुक हो ग ई थी।
मेरे लिए भी भावुक हो जाया कर बेगम कभी कभी। और हाँ क्या बच्चों के सामने चौबीस घंटे वाईन वाईन मत लेना वीरेन प्लीज़।
तूने तो मुझे शराबी ही घोषित कर दिया है।
मैंने नहीं आपकी मैडिकल रिपोर्ट ने।
सब बकवास है।
दवा खा लो गुस्सा बाद में कर लेना।
मिस्त्री चले गए हैं?
नहीं अभी तो कर रहे हैं काम, मैनै खाने के लिए पूछा था,तो मना कर दिया।
डुग्गु ने खा लिया?
जी।
ठीक है तो आप भी ले लें हमें अपनी पनाह में।
वीरेन अभी आराम करें आप। बुखार है आपको।
कुछ नहीं है मुझे, तभी वीरेन के फोन की घंटी बजी थी।
मिन्नी ने मुस्करा कर फोन पकड़ा दिया था उसे।
हाँ जी सरपंच साहब ,आपके घर के बाहर ही खड़ा हूँ।
अच्छा अच्छा आता हूँ साहब, वीरू उठ कर ड्रॉइंगरूम का गेट खोल कर बाहर का गेट खोल देता है।
दो आदमी थे।
सरपंच साहब डील फाइनल करवा दी है ।
धन्यवाद भाई साहब।।
कुछ चाय काफी क्या लोगे भाई साहब?
बिल्कुल कुछ नहीं साहब, घर जायेंगे अब सीधा, ठंड बहुत है, वैसे भी थोड़ी काली चाय ले रखी है।पर आपसे वायदा किया था, सो निभाने आ गया था। आप ये कागच चेक करवा कर मुझे फोन कर देना कल। मैं ले आऊँगा ,उस को भी और रजिस्ट्री करवा लेंगे।
ठीक है भाई साहब, वीरू ने हाथ मिलाया,और गेट बंद कर ही रहा था कि दो तीन बंदे बाहर की तरफ आये थे।उन्होंने नमस्ते किया था। वीरू ने भी ज़वाब दिया था।
तभी डुगू बाहर निकला था।
पापा लगभग काम हो ही गया है।
सर पंद्रह बीस मिनिट का काम बचा है, सुबह आकर कर देंगे।
पैमेंट अभी दूं क्या।
नहीं साहब सुबह हो जायेगा। वो चले ग ए थे।
कोई आया था क्या पापा?
वो प्लाट की डील फाइनल हो ग ई है।
सच्ची पापा.
हम्म। सुबह रजिस्ट्री करवा लेंगे।
ओके पापा।
तभी अंधेरे मे से एक साया निकला था, वीरू का हाथ पायजामे में रखे पिस्टल पर था। उसने पिस्टल निकाली ही थी कि आवाज़ आई थी।
साहब
कमला आंटी, आप इस वक्त? डुग्गु बोला था।
साहब बेटे और ब हू ने धक्के मार कर घर से निकाल दिया हैं।
डुग्गु ने गेट खोल दिया था, वो अंदर आ ग ई थी।
तूं यहाँ से ग ई ही क्यों थी, वीरू ने कहा था।
वो टूटे कदमों से अंदर आ ग ई थी।दीदी सो गई हैं क्या?
नहीं भेजता हूँ।
पापा मैं सो रहा हूँ।
ठीक है सो जाओ।
मिन्नी, बाहर आ।
जी।
वीरेंद्र ने कमला की तरफ इशारा किया था।
दीदी बेटे और बहू ने धक्के मार कर निकाल दिया हैं कहते हैं खाली बैठे खाने को कहाँ से आयेगा?
पर तुमने तो अपना काम बहू को दिया था।
कहते हैं और ढूंढ लो,तभी खाने को मिलेगा।
तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है, तुम यहाँ रहो आराम से। रसोई में खिचड़ी बनी रखी है,गर्म करके खालो।चायवाय बना लो ,तेरा बिस्तर तो है ही माँ के कमरे में फोल्डिंग डाल ले और सो जा। चिंता की कोई जरूरत नहीं है।
मिन्नी ने बैडरूम म़े आकर दरवाजा बंद किया ही था कि दस्तक हुई थी.,
मंमी
डुग्गु
मंमी कुछ कहना था, "प्लीज़ कमला आंटी को हमेशां के लिए रख लो।"
अनायास ही मिन्नी का गला भर आया था। ठीक है तुम सो जाओ बेटा, मिन्नी ने उसका सिर सहलाया था।
लव यू माँ
लव यू टू डियर, गुड नाईट।
क्या हो गया?
वो कमला को देखकर उदास है गया है कह रहा है उसे यहीं रख लो।
हल्की सी मुस्कराहट आ ग ई थी.वीरेंद्र के चेहरे पर।
क्रमशः
कहानी,औरत आदमी और छत
लेखिका, ललिता विम्मी।
भिवानी, हरियाणा